What Is Mutual Fund In Hindi | म्यूचुअल फंड क्या है? म्यूचुअल फंड के प्रकार

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जहा निवेशक एक बड़ी संख्या में राशि जमा करता है उसे Mutual Fund कहते है और यह एक Investment की तरह ही है। अगर आप Mutual Fund में पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हो तो सबसे पहले आपको इसके बारे में सब बाते जानना ज़रूरी है।

तो दोस्तों इस पोस्ट में, म्यूचुअल फंड क्या है और इसके कितने प्रकार है, What is mutual fund in hindi, म्यूचुअल फंड में पैसा कैसे इन्वेस्ट करे, Types of mutual fund और इसमे invest करने से क्या फायदा होता है, आदि के बारे में जानेंगे।

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म्यूचुअल फंड क्या है? What Is Mutual Fund In Hindi

जहा निवेशक याने गुंतवणूकदार एक बड़ी संख्या में अपना पैसा जमा करते है, उसे Mutual Fund कहते है और यह एक तरह की investment है।

म्यूचुअल फंड यह आम आदमी से लेकर बड़े आदमी तक हर एक के लिए होता है। आम आदमी जैसे लोगों को यह लगता है कि म्यूचुअल फंड में बड़ी राशि की गुंतवणूक करना लाभदायक होगा। लेकिन दोस्तों आप हर महीने Rs.500 की छोटी सी राशि से म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरवात कर सकते हैं और अपनी इनकम बढ़ने के साथ-साथ आप अपने निवेश या गुंतवणूक को धीरे-धीरे बढ़ा भी सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश यानि invest शुरू करने के लिए हमे कुछ बाते पूरी करनी होती जैसे की, इसमे इन्वेस्टमेंट करने के लिए आपको KYC पूरी करनी होती है।

इसके लिए आपको E-KYC फॉर्म भरकर कुछ address प्रूफ देना पड़ता है, जैसे की फोटो, पैन कार्ड और आधार कार्ड की कॉपी, पासपोर्ट, इलेक्ट्रिसिटी बिल या बैंक स्टेटमेंट की कॉपी देनी पड़ती है और फॉर्म भरने के बाद आपको रजिस्टर्ड ऑफ़िस या म्यूचुअल फंड ऑफ़िस में जमा करना होता है।

म्यूचुअल फंड स्कीम को कैसे चुने? How To Choose A Mutual Fund Scheme?

Mutual Fund में हम पैसा लगाना चाहते तो है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति पहली बार म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाला है तो उस निवेशक को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि के हिसाब से ही ऐसी स्कीम को चुनना चाहिए। या फिर कोई गुंतवणूकदार किसी फ़ाइनेंशियल प्लानर या Distributor की मदद से भी इस स्कीम को चुन सकता हैं।

Types Of Mutual Funds In Hindi

वैसे तो Mutual Fund के बहुत से प्रकार है, पर मुख्य रूप से इसके दो प्रकार माने जाते है एक ओपन एंडेड फंड (Open-Ended Funds) और दूसरा क्लोज्ड एंडेड फंड (Close Ended Funds)।

1. Open-Ended Funds (ओपन एंडेड स्कीम)

म्यूचुअल फंड के ओपन एंडेड स्कीम इस प्रकार में अवधि के दौरान किसी भी निवेशक यूनिट्स को खरीद या बेच सकता है। इसकी कोई निश्चित मैच्योरिटी नही रहती।

ओपन एंडेड फंड इस प्रकार के फण्ड में आपको यह आजादी दी जाती है की, कोई गुंतवणूकदार जब चाहे तब इसमे पैसे लगा सकते है यानि वो अपने मुताबिक पैसे लगा सकता है।

पैसे लगाने के लिए इस स्कीम में कोई मर्यादा नही होती लेकिन इसमे निवेश करने के लिए उन्हें कुछ शुल्क देना पड़ता है। ओपन एंडेड स्कीम में चार प्रकारों का समावेश होता है:

  • Equity Fund
  • Debt Fund 
  • Balanced Fund 
  • Liquid Fund

इन चारों प्रकारों की जानकारी नीचे दी है:

A. Equity Fund (इक्विटी फंड)

Equity Fund में खासकर शेयर्स या कोई कंपनी के स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते है। Equity Fund के फंड मेनेजर का मुख्य उद्देश सिर्फ यही रहता है की, वो निवेशक के Investment को ऐसी Companies के शेयर में इन्वेस्ट करे ताकि उन्हें निवेशक के इन्वेस्टमेंट को कम समय में ज्यादा से ज्यादा बढायें।

इक्विटी फण्ड को Growth Fund यानि वृद्धि फंड भी कहते है। छोटी अवधि के लिए इस फंड में निवेश की जोखिम तो भरी होती है, लेकिन लम्बी अवधि में आप इस प्रकार के फंड्स में अच्छे रिटर्न की भी उम्मीद कर सकते हैं।

Mutual Fund से हमे जो लाभ मिलते है वही सारे लाभ Equity Fund से भी मिलते है लेकिन इस प्रकार में आपको सबसे ज्यादा यह फायदा होता है की, आपको शेयरों में निवेश करने के लिए ज्यादा कुछ सोचने की या फिर कोई चिंता करने की कुछ जरूरत नही पडती, क्योंकि इसके सारे काम फंड मेनेजर की मदद से ही किये जाते है।

इक्विटी फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आप किसी ब्रोकर या किसी एजेंट की मदद लेकर इस फंड में निवेश कर सकते है, लेकिन ब्रोकर या एजेंट आपसे कुछ fees लेते है या फिर आपको ब्रोकर के बिना ही इन्वेस्ट करनी है तो आप खुद ही Online निवेश शुरू कर सकते है।

B. Debt Fund (डेब्ट फंड)

Debt Fund यह स्कीम उन गुंतवणूकदारों के लिए उपयुक्त है जो किसी प्रकार की रिस्क नही लेना चाहते है। इस प्रकार में निवेश ज्यादातर सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट ऋण स्कीम, कंपनी डिबेंचर, ट्रेजरी बिल, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है।

जब आप डेब्ट फंड खरीदते है तो आप जारी करने वाले जो संस्थाए होती है उन्हें लोन देते हैं। इस प्रकार के फंड में आपको अच्छा सा मुनाफ़ा तो मिलता है मगर इसमे return की कोई गारंटी नही रहती। लेकिन इसमे रिटर्न्स का अनुमान तो लगाया जाता है जो छोटे-छोटे निवेशकों के लिए सुरक्षित बनाता है।

डेब्ट फण्ड यह कम जोखिम लेने के साथ एक निश्चित लाभ देने के लिए कैपेबल हो सकता है लेकिन इक्विटी फण्ड के मुकाबले में डेब्ट फण्ड कम लाभ देता है।

C. Balanced Fund (बैलेंस्ड फंड)

दोस्तों कुछ लोग सिर्फ डेब्ट म्यूच्यूअल फंड में ही पैसा इन्वेस्ट करते है या फिर कुछ लोग केवल इक्विटी फंड में ही निवेश करते है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है, जो थोडा बहुत पैसा दोनों में याने की डेब्ट फंड और इक्विटी फंड में invest करना चाहते है ऐसे फंड को Balanced Fund कहते है।

बैलेंस्ड फंड हायब्रिड फंड के नाम से भी जाना जाता है। इक्विटी फंड में निवेश किये गये fund को तेजी से बढने के लिए मदद करता है और डेब्ट फंड इन्वेस्ट किये गये फंड को सुरक्षितरित्या विकास की ओर जाता है।

Balanced Fund से एक अच्छा लाभ यह होता है की, जब इक्विटी फंड returns नही दे पाता तो ऐसे समय में आपको डेब्ट फंड की मदद होती है इसी कारण से आजकल बहुत से लोग Balanced Fund इस प्रकार के फंड में ही पैसा इन्वेस्ट करते है।

D. Liquid Fund (लिक्विड फंड)

Liquid Funds यह उन निवेशकों के लिए सबसे अच्छे और फ़ायदेमंद है जो कम समय के लिए सुरक्षित रूप से इन्वेस्ट करना चाहते है। निवेशक 1 से 3 महीने के लिए इस फंड का उपयोग करते है। इस योजना के अंतर्गत इन्वेस्टमेंट मेनेजर 91 दिन या उससे भी कम अवधि के लिए ट्रेजरी बिल्स, सर्टिफ़िकेट ऑफ डिपाज़िट, गवर्मेंट सिक्‍योरिटीज में निवेश करते है।

कुछ इक्विटी निवेशक जो होते है वह अपनी इन्वेस्ट को सिस्टेमेटिक ट्रांसफर plan के जरिए इक्विटी फंड में बांधने के लिए भी इस फंड का यानि लिक्विड फंड का ही उपयोग करते हैं क्योंकि ऐसा करने से उन्हें यह लगता है की, अच्छा return मिल सकता है। लिक्विड फंड को सबसे कम जोखिम वाला फंड माना जाता है।

2. Close Ended Funds (क्लोज्ड एंडेड स्कीम)

इस Close Ended Funds में तब भी आप इन्वेस्ट कर सकते है, जब NFO (New Fund Offer) जारी किया जाता है। इस तरह की योजना में परिपक्वता तिथि पहले से ही निर्धारित की जाती है।

Close Ended यह फंड यूनिट एक निश्चित अवधि के लिए होता है, इसमे निर्धारित समय के लिए पैसा लगाया जाता है, लेकिन समय पूरा होने के पहले आप इस फंड से पैसे नही निकाल सकते। अगर आप इसका अवधि पूरा होने के पहले पैसे निकालना चाहते है, तो शेयर की तरह ही इसके यूनिट को भी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवाकर उसकी मदद से कभी भी खरीद और बेच सकते है।

क्लोज्ड एंडेड स्कीम के अंतर्गत दो तरह के फंड आते है: एक फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान और दूसरा कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड।

A. Fixed Maturity Plan (निश्चित परिपक्वता फंड)

इस प्रकार के फंड में Maturity यानि परिपक्वता का समय पहले से ही निश्चित या निर्धारित किया जाता है और तो और इस फंड में charges भी बहुत कम रहते है, क्योंकि पहले से ही fund manager को निर्धारित उपकरणों में इन्वेस्ट करना होता है। जो फंड की सीमा के साथ मैच्योर हो रहे है ऐसे डेब्ट उपकरणों में निवेश किया जाता है।

B. Capital Protection Fund (कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड)

Capital Protection Fund में निवेश की गई राशि को सुरक्षित रखने के लिए इस प्रकार के फंड में इन्वेस्ट किया जाता है। यह एक क्लोज्ड एंडेड स्कीम है इसलिए इस फंड में केवल एक निर्धारित समय की अवधि तक ही इन्वेस्ट किया जाता है।

कैपिटल प्रोटेक्शन फंड में ज्यादातर फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है, और उसके साथ ही छोटा सा भाग इक्विटी में भी इन्वेस्ट किया जाता है। इसमे राशि को सुरक्षित रखकर ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो जाता है।

See Also:
1. बिमा क्या है? बिमा के प्रकार की पूरी जानकारी
2. निवेश क्या है? Types Of Investment In Hindi
3. Key Man Insurance की जानकारी
4. शेयर मार्केट, स्टॉक मार्केट की पूरी जानकारी

तो दोस्तों आशा है की, आपको म्यूचुअल फंड क्या है, म्यूचुअल फंड को कैसे चुनना चाहिए, कितने तरह के म्यूचुअल फंड है और कोन से म्यूचुअल फंड के प्रकार में इन्वेस्ट करना चाहिए इन सब के बारे में काफी कुछ जानकारी मिली होंगी। यदि आपको “What is Mutual Fund in hindi, म्यूचुअल फंड क्या है” यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों में शेअर करें और हमे कमेंट्स करके जरुर बताये।

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