इन्वेस्टमेंट के दुनिया में शेयर, म्यूचुअल फंड, गोल्ड जैसे ऑप्शन्स तो अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन क्या आपने कभी "डिबेंचर" (Debenture) के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। डिबेंचर कंपनियों और निवेशकों के बीच एक महत्वपूर्ण फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है, जो लोन लेने और देने का सुरक्षित तरीका प्रदान करता है। तो चलिए, विस्तार से समझते हैं कि What is debenture in hindi, डिबेंचर क्या है, डिबेंचर के प्रकार, फायदे, नुकसान और इसे कैसे खरीदें?।
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डिबेंचर क्या है? - What Is Debenture In Hindi
डिबेंचर एक प्रकार का लिखित ऋण प्रमाणपत्र (Written Debt Instrument) होता है, जिसे कंपनियां या सरकारी संस्थान अपने व्यवसाय को फंड देने के लिए जारी करती हैं। जब आप डिबेंचर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी को उधार (Loan) देते हैं। बदले में, कंपनी आपको निश्चित समय पर ब्याज (Interest) देती है और एक निर्धारित अवधि के बाद मूल राशि वापस कर देती है।
आसान शब्दों में कहे तो:
- डिबेंचर: कंपनी का लोन
- निवेशक: लोन देने वाला
- कंपनी: लोन लेने वाला
डिबेंचर की परिभाषा - Definition of Debenture
भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार, डिबेंचर किसी कंपनी द्वारा जारी किया गया वह दस्तावेज़ है, जो कंपनी पर एक ऋण (Debt) को दर्शाता है। यह कंपनी की एसेट्स (Assets) पर चार्ज के साथ या बिना चार्ज के भी जारी किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए: अगर टाटा मोटर्स कंपनी ₹600 करोड़ का डिबेंचर जारी करती है, तो वह इन पैसो का इस्तेमाल नए प्रोजेक्ट्स, विस्तार, या डेट चुकाने के लिए कर सकती है।
डिबेंचर कैसे काम करता है? - How Do Debentures Work
डिबेंचर का कामकाज समझने के लिए नीचे दिए स्टेप्स को देखे:
- कंपनी डिबेंचर जारी करती है: कंपनी अपनी फंडिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए डिबेंचर इश्यू करती है।
- निवेशक डिबेंचर खरीदते हैं: इच्छुक निवेशक इन्हें सीधे कंपनी या स्टॉक मार्केट से खरीद सकते हैं।
- ब्याज का भुगतान: कंपनी निवेशकों को निश्चित अंतराल (मासिक/त्रैमासिक/वार्षिक) पर ब्याज देती है।
- मैच्योरिटी पर रकम वापसी: एक निर्धारित अवधि (जैसे 5 साल) के बाद कंपनी मूल राशि वापस कर देती है।
डिबेंचर का उदाहरण (Example of a Debenture)
मान लीजिए, "टाटा लिमिटेड कंपनी" ने 5 साल के लिए 8% वार्षिक ब्याज दर पर ₹1,000 के 10,000 डिबेंचर जारी किए।
- कुल जुटाई गई राशि: ₹10 करोड़ (10,000 × ₹1,000)
- निवेशक को मिलेगा: प्रति वर्ष ₹80 ब्याज प्रति डिबेंचर (₹1,000 का 8%)
- 5 साल बाद: "टाटा लिमिटेड कंपनी" निवेशक को ₹1,000 प्रति डिबेंचर वापस करेगी।
डिबेंचर के प्रकार - Types Of Debentures In Hindi
1. परिवर्तनीय vs गैर-परिवर्तनीय (Convertible vs Non-Convertible)
- परिवर्तनीय डिबेंचर: इन्हें बाद में कंपनी के शेयरों में बदला जा सकता है।
- गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर: इन्हें शेयरों में कन्वर्ट नहीं किया जा सकता।
2. सुरक्षित vs असुरक्षित (Secured vs Unsecured)
- सुरक्षित डिबेंचर: कंपनी की एसेट्स पर चार्ज के साथ जारी किए जाते हैं। डिफॉल्ट की स्थिति में निवेशक एसेट्स बेचकर पैसा वसूल सकते हैं।
- असुरक्षित डिबेंचर: बिना किसी एसेट चार्ज के जारी किए जाते हैं, इनमें रिस्क ज्यादा होता है।
3. रिडीमेबल vs शाश्वत (Redeemable vs Perpetual)
- रिडीमेबल: एक निश्चित अवधि के बाद मूल राशि वापस की जाती है।
- शाश्वत: कोई मैच्योरिटी डेट नहीं होती, कंपनी चाहे तो कभी भी रकम वापस कर सकती है।
4. रजिस्टर्ड vs बेयरर (Registered vs Bearer)
- रजिस्टर्ड: निवेशक का नाम कंपनी के रिकॉर्ड में दर्ज होता है।
- बेयरर: बिना नाम के जारी किए जाते हैं। जिसके पास डिबेंचर होगा, वही मालिक माना जाएगा।
डिबेंचर की विशेषताएं (Features Of Debenture)
- निश्चित ब्याज दर: डिबेंचर पर ब्याज की दर पहले से तय होती है।
- मैच्योरिटी अवधि: ज्यादातर डिबेंचर 5-10 साल की अवधि के लिए जारी किए जाते हैं।
- सुरक्षा: सिक्योर्ड डिबेंचर में एसेट्स के बैकअप का लाभ मिलता है।
- ट्रांसफर करने योग्य: डिबेंचर को शेयर बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है।
- क्रेडिट रेटिंग: डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी की क्रेडिट रेटिंग निवेशकों को रिस्क समझने में मदद करती है।
डिबेंचर के फायदे (Advantages of Debentures)
1. निवेशकों के लिए:
- निश्चित आय (Fixed Income) का स्रोत।
- शेयरों की तुलना में कम रिस्क।
- टैक्स बेनिफिट (कुछ डिबेंचर पर टैक्स छूट)।
2. कंपनियों के लिए:
- लंबी अवधि के लिए फंड जुटाने का साधन।
- शेयर इश्यू करने की तुलना में ओनरशिप नहीं डिल्यूट होती।
डिबेंचर के नुकसान (Disadvantages of Debentures)
1. निवेशकों के लिए:
- इन्फ्लेशन रिस्क: ब्याज दर स्थिर होने से रियल रिटर्न कम हो सकता है।
- क्रेडिट रिस्क: अगर कंपनी डिफॉल्ट करे, तो पैसे डूब सकते हैं।
2. कंपनियों के लिए:
- ब्याज और मूलधन चुकाने की अनिवार्यता।
- डिबेंचर जारी करने की लागत (जैसे क्रेडिट रेटिंग फीस)।
डिबेंचर कैसे खरीदें? (How To Buy Debentures)
भारत में डिबेंचर खरीदने के लिए नीचे दिए स्टेप्स फॉलो करें:
- डीमैट अकाउंट खोलें: Zerodha, Upstox, AngleOne जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अकाउंट बनाएं।
- रिसर्च करें: कंपनी की क्रेडिट रेटिंग, ब्याज दर, और मैच्योरिटी चेक करें।
- ऑर्डर प्लेस करें: स्टॉक मार्केट (BSE/NSE) के माध्यम से डिबेंचर खरीदें।
- ट्रैक करें: अपने पोर्टफोलियो में डिबेंचर की परफॉर्मेंस मॉनिटर करते रहें।
शेयर और डिबेंचर में क्या अंतर है?
शेयर बाजार जोखिम वाली कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि डिबेंचर ऋण होते हैं जो स्वामित्व के बिना निश्चित ब्याज प्रदान करते हैं। शेयर और डिबेंचर आम तरीके हैं जिनका इस्तेमाल कंपनियाँ पूंजी जुटाने के लिए करती हैं।
बांड और डिबेंचर में क्या अंतर है?
बांड प्राइवेट कॉर्पोरेशन्स और सरकारों द्वारा फिजिकल एसेट्स या कोलैटरल के समर्थन से जारी किए गए ऋण (Debt) उपकरण हैं। और डिबेंचर प्राइवेट कॉर्पोरेशन्स द्वारा फिजिकल एसेट्स या कोलैटरल के समर्थन के बिना पूंजी जुटाने के लिए जारी किए गए ऋण उपकरण हैं।
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1. Repo Rate और Reverse Repo Rate क्या है?
1. Mutual Fund क्या है? Mutual Fund के प्रकार
2. Insurance क्या है? बीमा के प्रकार
3. Share Market, स्टॉक मार्केट क्या है?
4. Bonds क्या है? Types Of Bonds In Hindi
5. What Is ETF - Types Of ETF In Hindi
FAQs For Debenture In Hindi
1. क्या डिबेंचर में निवेश सुरक्षित है?
सिक्योर्ड और हाई क्रेडिट रेटिंग वाले डिबेंचर सुरक्षित माने जाते हैं।
2. डिबेंचर और FD में क्या अंतर है?
FD बैंकों द्वारा जारी की जाती है, जबकि डिबेंचर कंपनियों द्वारा जारी किये जाते है। डिबेंचर में रिटर्न ज्यादा हो सकता है, लेकिन रिस्क भी अधिक हो सकता है।
3. डिबेंचर की मिनिमम इन्वेस्टमेंट कितनी है?
आमतौर पर ₹1,000 से शुरुआत होती है, लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है।
4. क्या डिबेंचर को मैच्योरिटी से पहले बेच सकते हैं?
हां, स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से डिबेंचर को सेकेंडरी मार्केट में बेचा जा सकता है।
5. डिबेंचर पर टैक्स कैसे लगता है?
ब्याज आय पर आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है।
Conclusion:
डिबेंचर निवेशकों के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन है, खासकर उन्हें जो स्थिर आय (Stable Income) और मध्यम जोखिम (Moderate Risk) वाले ऑप्शन्स की तलाश में हैं। हालांकि, इन्वेस्ट करने से पहले कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ, क्रेडिट रेटिंग, और मैच्योरिटी टर्म्स जरूर चेक करें। अगर आप शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं, तो डिबेंचर आपके पोर्टफोलियो में डायवर्सिटी लाने का अच्छा तरीका हो सकता है।
तो दोस्तों यह थी What is debenture in hindi, Types of debentures, डिबेंचर क्या है, डिबेंचर के प्रकार, फायदे, नुकसान और डिबेंचर कैसे खरीदें, इत्यादी की जानकारी। आशा करते है की आपको इस पोस्ट में काफी जानकारी मिली होंगी, अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।