What Is Equity In Hindi | इक्विटी शेयर क्या है?

Rashmi Alone
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क्या आपने कभी सोचा है कि जब कोई कहता है, "मैंने टाटा या रिलायंस के शेयर खरीदे हैं," तो इसका वास्तव में क्या मतलब होता है? इस आसान सी बात का मतलब है कि वह व्यक्ति अब उस बड़ी कंपनी का एक छोटा सा, लेकिन असली हिस्सेदार (Owner) बन गया है, यही इक्विटी शेयर की मूल अवधारणा है। आज के समय में, शेयर बाजार (Share Market) में निवेश (Investment) सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक बन गया है। लेकिन बिना जाने-समझे इसमें कदम रखना जोखिम भरा हो सकता है।

इस पोस्ट का उद्देश्य है कि आपको "इक्विटी शेयर" (Equity Share) की पूरी जानकारी सरल और आसान भाषा में दी जाए। हम इस पोस्ट में  What is equity in hindi, इक्विटी शेयर क्या है, इक्विटी के प्रकार, यह कैसे काम करता है, इसके फायदे-नुकसान क्या हैं, और निवेश से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलू कौन-कौन से हैं। इन सब की जानकारी जानेंगे।

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इक्विटी शेयर क्या है? - What is Equity Share in Hindi?

इक्विटी शेयर (Equity Share), जिसे अक्सर साधारण शेयर (Ordinary Share) या सिर्फ 'शेयर' भी कहा जाता है, किसी कंपनी में स्वामित्व (Ownership) की एक इकाई (Unit) होती है।

साधारण शब्दों में कहें तो, इक्विटी शेयर, किसी कंपनी में आंशिक स्वामित्व (Partial Ownership) का प्रमाण-पत्र होता है

जब आप किसी कंपनी का एक इक्विटी शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के एक छोटे से हिस्से के मालिक बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी ने कुल 1 करोड़ शेयर जारी किए हैं और आपने उनमें से 10,000 शेयर खरीदे हैं, तो इसका मतलब है कि आप उस कंपनी के 0.1% (दशमलव एक प्रतिशत) के मालिक हैं।

इक्विटी शेयरधारकों (Equity Shareholders) को कंपनी के मुनाफे में हिस्सा पाने का अधिकार होता है, जिसे लाभांश (Dividend) कहते हैं। साथ ही, उन्हें कंपनी के महत्वपूर्ण फैसलों पर वोट (Vote) देने का अधिकार भी प्राप्त होता है।


इक्विटी (Equity) क्या है?

Equity शब्द को अगर व्यापक संदर्भ में समझें, तो यह "स्वामित्व के मूल्य (Value of Ownership)" को दर्शाता है। किसी भी चीज़ में आपकी जितनी हिस्सेदारी है, वह आपकी इक्विटी है।

घर का उदाहरण: मान लीजिए आपने एक घर ₹50 लाख में खरीदा। आपने ₹10 लाख अपनी बचत से लगाए और ₹40 लाख का लोन (Home Loan) बैंक से लिया। इस स्थिति में, घर में आपकी इक्विटी ₹10 लाख है। अगर कुछ सालों बाद घर की कीमत बढ़कर ₹70 लाख हो जाती है और आपने ₹5 लाख का लोन और चुका दिया है, तो अब आपकी इक्विटी होगी: ₹70 लाख (घर की कीमत) - ₹35 लाख (बाकी लोन) = ₹35 लाख।

ठीक इसी तरह "कंपनी की इक्विटी" का मतलब है, कंपनी की कुल संपत्तियों (Assets) में से सभी देनदारियों (Liabilities) को घटाने के बाद जो शुद्ध मूल्य (Net Worth) बचता है, वह उसके मालिकों (यानी शेयरधारकों) की हिस्सेदारी है।

  • सूत्र: इक्विटी = कुल संपत्तियाँ (Assets) - कुल देनदारियाँ (Liabilities)


इक्विटी शेयर कैसे काम करते हैं? - How Equity Works?

इक्विटी शेयर के काम करने का तरीका बहुत सीधा है। इसे निचे दिए गए स्टेप्स में समझते हैं:

  1. कंपनी का गठन और पूंजी की जरूरत: सबसे पहले, एक कंपनी शुरू होती है। व्यापार को बढ़ाने, नए प्लांट लगाने, या कर्ज चुकाने के लिए उसे पूंजी (Capital) की जरूरत होती है।
  2. आईपीओ (IPO - Initial Public Offering): पूंजी जुटाने के लिए, कंपनी स्टॉक एक्सचेंज (जैसे BSE, NSE) में सूचीबद्ध होती है और पहली बार जनता के लिए शेयर जारी करती है, इसे आईपीओ (IPO) कहते हैं।
  3. निवेशक शेयर खरीदते हैं: आप और हम जैसे निवेशक, आईपीओ के जरिए या बाद में शेयर बाजार से, कंपनी के शेयर खरीदते हैं। शेयर की कीमत बाजार की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है।
  4. कंपनी को पूंजी मिलती है: शेयर बेचकर कंपनी को पूंजी मिल जाती है, जिसे वह अपने बिज़नेस को बढ़ाने में लगाती है।
  5. शेयरधारक बनने के लाभ: शेयर खरीदने के बाद, आप शेयरधारक बन जाते हैं। इसके दो मुख्य लाभ हैं:
    ➧लाभांश (Dividend): अगर कंपनी को मुनाफा होता है, तो वह उस मुनाफे का एक हिस्सा अपने शेयरधारकों में बाँट सकती है। इसे लाभांश कहते हैं। यह जरूरी नहीं है; कंपनी मुनाफा बिज़नेस में दोबारा लगाने का भी फैसला कर सकती है।
    ➧पूंजीगत लाभ (Capital Gain): अगर कंपनी का बिज़नेस अच्छा चलता है और भविष्य में उसकी Growth के चलते उसके शेयर की कीमत बढ़ जाती है, तो आप उसे ऊँचे दाम पर बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। इसे पूंजीगत लाभ (Capital Gain) कहते हैं।
  6. वोटिंग अधिकार (Voting Rights): आमतौर पर, इक्विटी शेयरधारकों को कंपनी के Annual General Meeting (AGM) में महत्वपूर्ण मुद्दों पर वोट देने का अधिकार होता है, जैसे Board of Directors का चुनाव।


How to Calculate Shareholders' Equity

शेयरहोल्डर्स इक्विटी का फॉर्मूला और गणना: किसी कंपनी की वित्तीय सेहत जानने के लिए शेयरहोल्डर्स इक्विटी एक अहम पैमाना है। इसकी गणना बहुत आसान है और यह कंपनी के बैलेंस शीट (Balance Sheet) पर मौजूद होता है।

शेयरहोल्डर्स इक्विटी का सूत्र है (Formula) शेयरहोल्डर्स इक्विटी = कुल संपत्तियाँ (Total Assets) - कुल देनदारियाँ (Total Liabilities)

गणना का उदाहरण:
मान लीजिए किसी कंपनी की बैलेंस शीट पर निम्नलिखित आँकड़े हैं:

  • कुल संपत्तियाँ (Total Assets): ₹100 करोड़ (इसमें जमीन, मशीनें, कैश, दूसरी कंपनियों में निवेश, आदि शामिल हैं)
  • कुल देनदारियाँ (Total Liabilities): ₹60 करोड़ (इसमें बैंक लोन, कर्ज, बकाया भुगतान, आदि शामिल हैं)

शेयरहोल्डर्स इक्विटी = ₹100 करोड़ - ₹60 करोड़ = ₹40 करोड़

इस ₹40 करोड़ का मतलब है कि कंपनी की सभी संपत्तियों को बेचकर सारा कर्ज चुका देने के बाद, शेयरधारकों को मिलने वाली शुद्ध राशि ₹40 करोड़ होगी।


शेयरहोल्डर्स इक्विटी के घटक (Components of Shareholder Equity)

शेयरहोल्डर्स इक्विटी मुख्य रूप से तीन भागों से मिलकर बनती है:

1. शेयर कैपिटल (Share Capital): यह वह राशि है जो कंपनी ने शेयरधारकों से शेयर जारी करके जुटाई है। इसे 'Paid-up Capital' भी कहते हैं। अगर कंपनी ने फेस वैल्यू ₹10 के 1 करोड़ शेयर जारी किए हैं, तो उसकी शेयर कैपिटल ₹10 करोड़ होगी।

2. रिजर्व एंड सरप्लस (Reserves and Surplus): यह कंपनी के Past profits का वह हिस्सा है जिसे लाभांश के रूप में बाँटने की बजाय कंपनी में ही रोक लिया गया है। यह बिज़नेस के विस्तार, आपात स्थितियों या कर्ज चुकाने के लिए इस्तेमाल होता है। जैसे-जैसे कंपनी मुनाफा कमाती है, इस रिजर्व की राशि बढ़ती जाती है।

3. रिटेनड अर्निंग्स (Retained Earnings): यह कंपनी के Cumulative net profits का वह हिस्सा है जो लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया गया है। यह रिजर्व का ही एक हिस्सा माना जा सकता है।


इक्विटी शेयर के प्रकार - Types Of Equity Shares

मुख्य रूप से इक्विटी शेयर दो प्रकार के होते हैं:

1. साधारण शेयर (Common Stock/Ordinary Shares): यह सबसे Common प्रकार के शेयर हैं। इन्हें खरीदने वाले शेयरधारकों को लाभांश पाने और वोटिंग का अधिकार होता है। इस आर्टिकल में हम जिस इक्विटी शेयर की चर्चा कर रहे हैं, वह मुख्यतः इसी श्रेणी में आता है।

2. पूर्वाधिकार शेयर (Preferred Stock/Preference Shares): यह शेयर, साधारण शेयरों से थोड़े अलग होते हैं। इन शेयरधारकों को लाभांश पाने का "पूर्वाधिकार (Preference)" होता है, यानी कंपनी सबसे पहले इन्हें लाभांश देती है। इन्हें आमतौर पर वोटिंग का अधिकार नहीं होता। लेकिन, अगर कंपनी बंद होती है, तो उसकी संपत्ति बेचकर पैसा वापस करते समय भी इन्हें प्राथमिकता दी जाती है।


इक्विटी शेयर में निवेश क्यों करें? - Why Invest In Equities?

इक्विटी में निवेश करने के पीछे सबसे बड़ा और सबसे आकर्षक कारण है "उच्च रिटर्न की संभावना (Potential for High Returns)"। इक्विटी ने अन्य निवेश विकल्पों जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), सोना, या रियल एस्टेट की तुलना में कहीं अधिक रिटर्न दिया है।

अगर आपने 20 साल पहले अच्छी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया होता, तो आपका पैसा कई गुना हो चुका होता। यह Growth, Inflation को मात देने और वास्तविक धन (Real Wealth) बनाने का सबसे कारगर तरीका माना जाता है।

इक्विटी निवेश के फायदे (Advantages of Equity Investing)

  • उच्च रिटर्न की संभावना: जैसा कि ऊपर बताया गया, लंबी अवधि में इक्विटी निवेश से बहुत अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
  • लिक्विडिटी (Liquidity): शेयर बाजार में आप अपने शेयरों को आसानी से और जल्दी बेच सकते हैं (सिवाय कुछ विशेष शेयरों के)। इसका मतलब है कि आपका पैसा बंधा हुआ नहीं रहता।
  • लाभांश आय (Dividend Income): अच्छी कंपनियाँ नियमित रूप से लाभांश देती हैं, जो निवेशकों के लिए निष्क्रिय आय (Passive Income) का एक अच्छा स्रोत बन सकती है।
  • सूचना की पारदर्शिता (Transparency): सूचीबद्ध कंपनियाँ SEBI के नियमों के तहत अपने वित्तीय रिजल्ट्स और महत्वपूर्ण जानकारियां सार्वजनिक करती हैं, जिससे निवेशक सही फैसला ले सकते हैं।
  • सीमित दायित्व (Limited Liability): एक शेयरधारक का दायित्व उसके निवेश तक सीमित होता है। अगर कंपनी घाटे में जाती है या दिवालिया हो जाती है, तो शेयरधारकों की निजी संपत्ति पर कोई जोखिम नहीं होता

इक्विटी निवेश के नुकसान (Disadvantages of Equity Investments)

  • बाजार जोखिम (Market Risk): शेयर की कीमतें बाजार की Demand और Supply, आर्थिक स्थिति, राजनीतिक घटनाओं आदि से प्रभावित होती हैं। कीमतों में उतार-चढ़ाव (Volatility) होता रहता है और निवेश की कीमत घट भी सकती है।
  • पूंजी की हानि का जोखिम (Risk of Capital Loss): अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहता है या कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो आपके निवेश का एक बड़ा हिस्सा या पूरा पैसा डूब भी सकता है।
  • समय और शोध की आवश्यकता: सही शेयर चुनने और पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए लगातार शोध और बाजार की समझ की जरूरत होती है। इसमें समय लगता है।
  • भावनात्मक दबाव (Emotional Stress): बाजार के गिरने पर घबराहट (Panic Selling) या तेजी के समय लालच (Greed) में आकर गलत फैसले लेने का खतरा बना रहता है।


शेयर और इक्विटी में अंतर -Difference Between Stock and Equity

निचे 'स्टॉक' और 'इक्विटी' के बीच के मुख्य अंतर को सरल बुलेट पॉइंट्स में समझाया गया है:

  • मूल अवधारणा: इक्विटी एक व्यापक अवधारणा है जो किसी कंपनी में आपकी कुल हिस्सेदारी या स्वामित्व के मूल्य को दर्शाती है। जबकि स्टॉक या शेयर इक्विटी की छोटी इकाइयाँ हैं, जिन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है।
  • परिप्रेक्ष्य: जब आप कहते हैं, "मेरे पास इस कंपनी में 10% इक्विटी है," तो यह हिस्सेदारी के प्रतिशत की बात करता है। वहीं, "मेरे पास इस कंपनी के 10,000 शेयर हैं," यह स्वामित्व की गिनती बताता है।
  • उपयोग: इक्विटी शब्द का प्रयोग अक्सर वित्तीय और लेखांकन (Accounting) संदर्भों में कंपनी के शुद्ध मूल्य (Net Worth) के लिए किया जाता है। 'स्टॉक' या 'शेयर' शब्द का इस्तेमाल ज्यादातर निवेश और ट्रेडिंग के संदर्भ में होता है।
  • मूर्तता: इक्विटी एक अमूर्त हिस्सेदारी की तरह है। स्टॉक या शेयर इसी हिस्सेदारी के मूर्त प्रमाण-पत्र (आजकल डीमैट रूप में) होते हैं।
  • सरल शब्दों में: इक्विटी पूरे केक (Cake) की तरह है, और स्टॉक उस केक के अलग-अलग टुकड़ों (Slices) की तरह। आप केक के टुकड़ों (शेयर) को खरीदकर पूरे केक (इक्विटी) में अपनी हिस्सेदारी बनाते हैं।


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2. Trading Account क्या है, ट्रेडिंग अकाउंट कैसे बनाये?
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पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न (FAQs)

1. क्या छोटी रकम से इक्विटी शेयर में निवेश शुरू कर सकते हैं?

जी हाँ, बिल्कुल, आप केवल ₹500 या ₹1000 से भी म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटी में निवेश शुरू कर सकते हैं। सीधे शेयर खरीदने के लिए भी कोई बहुत बड़ी रकम की जरूरत नहीं होती।

2. इक्विटी शेयर कहाँ से खरीदें?

इक्विटी शेयर खरीदने के लिए आपको एक डीमैट अकाउंट (Demat Account) और ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) की आवश्यकता होती है। आप किसी SEBI-रेगुलेटेड ब्रोकर (जैसे Zerodha, Upstox, Angel One, ICICI Direct, etc.) के पास यह अकाउंट खुलवा सकते हैं।

3. क्या इक्विटी निवेश सुरक्षित है?

इक्विटी निवेश जोखिम के साथ जुड़ा है। यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। लेकिन, लंबी अवधि के लिए, अच्छी कंपनियों में किया गया निवेश और एक अच्छी तरह से विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो (Diversified Portfolio) जोखिम को कम कर सकता है।

4. शेयर बाजार में पैसा बनाने के लिए सबसे जरूरी बात क्या है?

धैर्य (Patience) और अनुशासन (Discipline)। शॉर्टकट की बजाय लंबे समय तक निवेश करके रखना और बाजार के उतार-चढ़ाव में घबराना नहीं, यह सफल निवेश की कुंजी है।

5. क्या शेयर बाजार जुआ है?

नहीं। जुआ एक लॉटरी या भाग्य पर आधारित होता है, जबकि शेयर बाजार में निवेश कंपनी के Fundamentals, Research) और Analysis पर आधारित होता है। बिना सोचे-समझे टिप्स पर ट्रेडिंग करना जुआ जैसा हो सकता है, लेकिन निवेश एक सोची-समझी रणनीति है।


निष्कर्ष:

इक्विटी शेयर सिर्फ एक वित्तीय उपकरण नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और आम लोगों के लिए वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Freedom) हासिल करने का एक शक्तिशाली जरिया है। हालाँकि, इसमें जोखिम है, लेकिन ज्ञान, शोध और धैर्य के साथ इन जोखिमों को मैनेज किया जा सकता है। अगर आप लंबी अवधि के नजरिए से सोचते हैं, तो इक्विटी निवेश आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में एक मददगार साथी साबित हो सकता है।
>निवेश से पहले हमेशा अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से सलाह लें और खुद शोध करें।

Disclaimer: Investments in the securities market are subject to market risk, read all related documents carefully before investing.
This content is for educational purposes only. Securities quoted are exemplary and not recommendatory.

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